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read moreभारत का उपराष्ट्रपति (Vice President of India) देश का दूसरा सबसे ऊंचा संवैधानिक पद है। राष्ट्रपति की अनुपस्थिति में, उपराष्ट्रपति ही राष्ट्रपति के कार्यों का निर्वहन करते हैं। यह पद न केवल गरिमापूर्ण है, बल्कि भारतीय राजनीतिक प्रणाली में एक महत्वपूर्ण भूमिका भी निभाता है। इस लेख में, हम भारत के उपराष्ट्रपति की भूमिका, शक्तियों, चुनाव प्रक्रिया और वर्तमान उपराष्ट्रपति के बारे में विस्तार से जानेंगे।
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 63 में उपराष्ट्रपति के पद का प्रावधान है। उपराष्ट्रपति राज्यसभा के पदेन सभापति (Ex-officio Chairman) भी होते हैं। इसका मतलब है कि उपराष्ट्रपति, राज्यसभा की कार्यवाही का संचालन करते हैं और सदन में व्यवस्था बनाए रखने की जिम्मेदारी निभाते हैं। उपराष्ट्रपति का चुनाव अप्रत्यक्ष रूप से होता है, जिसमें संसद के दोनों सदनों (लोकसभा और राज्यसभा) के सदस्य भाग लेते हैं।
उपराष्ट्रपति की मुख्य भूमिकाएं निम्नलिखित हैं:
उपराष्ट्रपति का पद एक महत्वपूर्ण संवैधानिक पद है, जो भारतीय राजनीतिक प्रणाली में स्थिरता और निरंतरता सुनिश्चित करता है।
उपराष्ट्रपति का चुनाव एक निर्वाचक मंडल (Electoral College) द्वारा किया जाता है, जिसमें संसद के दोनों सदनों (लोकसभा और राज्यसभा) के सभी सदस्य शामिल होते हैं। चुनाव आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली (Proportional Representation System) के अनुसार एकल संक्रमणीय मत (Single Transferable Vote) द्वारा होता है। इसका मतलब है कि प्रत्येक मतदाता को केवल एक मत देने का अधिकार होता है, लेकिन वह अपनी वरीयता के अनुसार उम्मीदवारों को रैंक कर सकता है।
उपराष्ट्रपति पद के लिए उम्मीदवार बनने के लिए निम्नलिखित योग्यताएं होनी चाहिए:
चुनाव प्रक्रिया में नामांकन, जांच, मतदान और मतगणना शामिल हैं। चुनाव आयोग (Election Commission) चुनाव की तारीख घोषित करता है और चुनाव प्रक्रिया का संचालन करता है।
उपराष्ट्रपति के पास निम्नलिखित शक्तियां होती हैं:
उपराष्ट्रपति की शक्तियां भारतीय राजनीतिक प्रणाली में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। वे राज्यसभा की कार्यवाही को सुचारू रूप से चलाने और राष्ट्रपति की अनुपस्थिति में देश के शासन को बनाए रखने में मदद करते हैं।
भारत के वर्तमान उपराष्ट्रपति श्री जगदीप धनखड़ हैं। उन्होंने 11 अगस्त, 2022 को पदभार ग्रहण किया। श्री धनखड़ एक अनुभवी राजनीतिज्ञ और वकील हैं। वे राजस्थान उच्च न्यायालय और सर्वोच्च न्यायालय में वकालत कर चुके हैं। उन्होंने राजस्थान विधानसभा में भी प्रतिनिधित्व किया है और केंद्र सरकार में मंत्री भी रहे हैं। vice president of india
उपराष्ट्रपति का पद भारतीय राजनीतिक प्रणाली में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। यह पद न केवल गरिमापूर्ण है, बल्कि देश के शासन में स्थिरता और निरंतरता सुनिश्चित करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। उपराष्ट्रपति राज्यसभा के सभापति के रूप में सदन की कार्यवाही का संचालन करते हैं, राष्ट्रपति की अनुपस्थिति में उनके कार्यों का निर्वहन करते हैं, और राष्ट्रपति पद रिक्त होने की स्थिति में राष्ट्रपति के रूप में कार्यभार संभालते हैं। यह पद भारतीय संविधान की महत्वपूर्ण विशेषताओं में से एक है।
हालांकि उपराष्ट्रपति का पद गरिमापूर्ण है, लेकिन इससे जुड़े कुछ विवाद भी सामने आए हैं। इनमें से कुछ विवाद उपराष्ट्रपति की शक्तियों, भूमिकाओं, या चुनाव प्रक्रिया से संबंधित हैं। कुछ मामलों में, उपराष्ट्रपति के निर्णयों पर सवाल उठाए गए हैं, खासकर जब उन्होंने निर्णायक मत का प्रयोग किया है। हालांकि, ये विवाद उपराष्ट्रपति पद के महत्व को कम नहीं करते हैं। vice president of india
उपराष्ट्रपति का पद भारतीय राजनीतिक प्रणाली का एक अभिन्न अंग बना रहेगा। भविष्य में, उपराष्ट्रपति की भूमिका और भी महत्वपूर्ण हो सकती है, खासकर जब देश राजनीतिक और सामाजिक चुनौतियों का सामना कर रहा हो। उपराष्ट्रपति को सदन में व्यवस्था बनाए रखने, राष्ट्रपति की अनुपस्थिति में उनके कार्यों का निर्वहन करने, और राष्ट्रपति पद रिक्त होने की स्थिति में राष्ट्रपति के रूप में कार्यभार संभालने में महत्वपूर्ण भूमिका निभानी होगी।
उपराष्ट्रपति का पद भारतीय संविधान की एक महत्वपूर्ण विशेषता है। यह पद न केवल गरिमापूर्ण है, बल्कि देश के शासन में स्थिरता और निरंतरता सुनिश्चित करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। उपराष्ट्रपति राज्यसभा के सभापति के रूप में सदन की कार्यवाही का संचालन करते हैं, राष्ट्रपति की अनुपस्थिति में उनके कार्यों का निर्वहन करते हैं, और राष्ट्रपति पद रिक्त होने की स्थिति में राष्ट्रपति के रूप में कार्यभार संभालते हैं। यह पद भारतीय राजनीतिक प्रणाली में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है।
उपराष्ट्रपति का चुनाव एक निर्वाचक मंडल द्वारा किया जाता है, जिसमें संसद के दोनों सदनों (लोकसभा और राज्यसभा) के सभी सदस्य शामिल होते हैं। चुनाव आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली के अनुसार एकल संक्रमणीय मत द्वारा होता है।
उपराष्ट्रपति पद के लिए उम्मीदवार बनने के लिए निम्नलिखित योग्यताएं होनी चाहिए: वह भारत का नागरिक होना चाहिए, उसकी आयु 35 वर्ष से कम नहीं होनी चाहिए, वह राज्यसभा का सदस्य बनने के योग्य होना चाहिए, और वह केंद्र या राज्य सरकार के अधीन किसी लाभ के पद पर नहीं होना चाहिए।
उपराष्ट्रपति की मुख्य भूमिकाएं निम्नलिखित हैं: राज्यसभा के सभापति, राष्ट्रपति के रूप में कार्यभार, और राष्ट्रपति के कार्यों का निर्वहन।
भारत के वर्तमान उपराष्ट्रपति श्री जगदीप धनखड़ हैं।
उपराष्ट्रपति का कार्यकाल 5 वर्ष का होता है।
भारत का उपराष्ट्रपति एक महत्वपूर्ण संवैधानिक पद है, जो भारतीय राजनीतिक प्रणाली में स्थिरता और निरंतरता सुनिश्चित करता है। उपराष्ट्रपति राज्यसभा के सभापति के रूप में सदन की कार्यवाही का संचालन करते हैं, राष्ट्रपति की अनुपस्थिति में उनके कार्यों का निर्वहन करते हैं, और राष्ट्रपति पद रिक्त होने की स्थिति में राष्ट्रपति के रूप में कार्यभार संभालते हैं। यह पद भारतीय संविधान की महत्वपूर्ण विशेषताओं में से एक है। उपराष्ट्रपति का चुनाव एक निर्वाचक मंडल द्वारा किया जाता है, जिसमें संसद के दोनों सदनों के सदस्य शामिल होते हैं। उपराष्ट्रपति पद के लिए उम्मीदवार बनने के लिए कुछ योग्यताएं होनी चाहिए, जैसे कि भारत का नागरिक होना, 35 वर्ष से अधिक आयु होना, और राज्यसभा का सदस्य बनने के योग्य होना। vice president of india
भारत के उपराष्ट्रपति का पद भविष्य में भी महत्वपूर्ण बना रहेगा। यह पद देश के शासन में स्थिरता और निरंतरता सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता रहेगा। उपराष्ट्रपति को सदन में व्यवस्था बनाए रखने, राष्ट्रपति की अनुपस्थिति में उनके कार्यों का निर्वहन करने, और राष्ट्रपति पद रिक्त होने की स्थिति में राष्ट्रपति के रूप में कार्यभार संभालने में महत्वपूर्ण भूमिका निभानी होगी। यह पद भारतीय राजनीतिक प्रणाली में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है।
उपराष्ट्रपति पद के साथ कुछ चुनौतियां और अवसर भी जुड़े हुए हैं। उपराष्ट्रपति को सदन में सभी दलों के सदस्यों के साथ मिलकर काम करना होता है, और उन्हें सदन में व्यवस्था बनाए रखने के लिए निष्पक्ष और तटस्थ रहना होता है। उपराष्ट्रपति को राष्ट्रपति की अनुपस्थिति में उनके कार्यों का निर्वहन करने और राष्ट्रपति पद रिक्त होने की स्थिति में राष्ट्रपति के रूप में कार्यभार संभालने के लिए तैयार रहना होता है। उपराष्ट्रपति को देश के विकास और प्रगति में योगदान करने के लिए भी अवसर मिलते हैं।
भारत के उपराष्ट्रपति का पद एक प्रेरणादायक पद है। यह पद उन लोगों के लिए एक प्रेरणा है जो देश की सेवा करना चाहते हैं और भारतीय राजनीतिक प्रणाली में योगदान करना चाहते हैं। उपराष्ट्रपति का पद उन लोगों के लिए भी एक प्रेरणा है जो कड़ी मेहनत, समर्पण, और निष्ठा के साथ अपने लक्ष्यों को प्राप्त करना चाहते हैं। उपराष्ट्रपति का पद भारतीय संविधान की महत्वपूर्ण विशेषताओं में से एक है, और यह देश के शासन में स्थिरता और निरंतरता सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
हाल ही में, उपराष्ट्रपति श्री जगदीप धनखड़ ने विभिन्न कार्यक्रमों और सम्मेलनों में भाग लिया है, जहाँ उन्होंने भारत के विकास और प्रगति के बारे में अपने विचार व्यक्त किए हैं। उन्होंने युवाओं को शिक्षा और कौशल विकास पर ध्यान केंद्रित करने के लिए प्रोत्साहित किया है, ताकि वे देश के भविष्य में योगदान कर सकें। उन्होंने भारत की सांस्कृतिक विरासत और मूल्यों को संरक्षित करने के महत्व पर भी जोर दिया है। उपराष्ट्रपति श्री धनखड़ ने विभिन्न राज्यों और क्षेत्रों का दौरा किया है, जहाँ उन्होंने स्थानीय समुदायों के साथ बातचीत की है और उनकी समस्याओं को समझने का प्रयास किया है। उन्होंने सरकार से इन समस्याओं का समाधान करने और लोगों के जीवन को बेहतर बनाने के लिए कदम उठाने का आग्रह किया है।
उपराष्ट्रपति श्री जगदीप धनखड़ ने कई अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर भारत का प्रतिनिधित्व किया है, जहाँ उन्होंने भारत की विदेश नीति और वैश्विक मुद्दों पर भारत के दृष्टिकोण को प्रस्तुत किया है। उन्होंने आतंकवाद, जलवायु परिवर्तन, और गरीबी जैसे मुद्दों पर अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देने की आवश्यकता पर जोर दिया है। उन्होंने भारत की आर्थिक प्रगति और विकास को भी उजागर किया है, और विदेशी निवेशकों को भारत में निवेश करने के लिए आमंत्रित किया है। उपराष्ट्रपति श्री धनखड़ ने विभिन्न देशों के नेताओं के साथ द्विपक्षीय वार्ता की है, जहाँ उन्होंने आपसी हित के मुद्दों पर चर्चा की है और संबंधों को मजबूत करने के लिए सहमति व्यक्त की है।
उपराष्ट्रपति श्री जगदीप धनखड़ शिक्षा और युवा विकास को बहुत महत्व देते हैं। उन्होंने युवाओं को उच्च शिक्षा प्राप्त करने और नए कौशल सीखने के लिए प्रोत्साहित किया है। उन्होंने शिक्षा प्रणाली में सुधार करने और इसे अधिक प्रासंगिक और रोजगारोन्मुखी बनाने की आवश्यकता पर जोर दिया है। उन्होंने युवाओं को उद्यमिता और नवाचार को अपनाने के लिए भी प्रोत्साहित किया है, ताकि वे नौकरी तलाशने वाले नहीं बल्कि नौकरी देने वाले बन सकें। उपराष्ट्रपति श्री धनखड़ ने विभिन्न विश्वविद्यालयों और शैक्षणिक संस्थानों का दौरा किया है, जहाँ उन्होंने छात्रों और शिक्षकों के साथ बातचीत की है और शिक्षा के क्षेत्र में चुनौतियों और अवसरों पर चर्चा की है।
उपराष्ट्रपति श्री जगदीप धनखड़ ग्रामीण विकास और कृषि के प्रति भी समर्पित हैं। उन्होंने ग्रामीण क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे को बेहतर बनाने और किसानों की आय बढ़ाने की आवश्यकता पर जोर दिया है। उन्होंने किसानों को आधुनिक तकनीक और कृषि पद्धतियों को अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया है, ताकि वे अपनी उपज को बढ़ा सकें और बेहतर मूल्य प्राप्त कर सकें। उन्होंने कृषि क्षेत्र में निवेश को आकर्षित करने और ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अवसर पैदा करने की आवश्यकता पर भी जोर दिया है। उपराष्ट्रपति श्री धनखड़ ने विभिन्न गांवों और कृषि क्षेत्रों का दौरा किया है, जहाँ उन्होंने किसानों के साथ बातचीत की है और उनकी समस्याओं को समझने का प्रयास किया है।
उपराष्ट्रपति श्री जगदीप धनखड़ सामाजिक न्याय और समानता के प्रबल समर्थक हैं। उन्होंने समाज के सभी वर्गों के लिए समान अवसर सुनिश्चित करने की आवश्यकता पर जोर दिया है। उन्होंने महिलाओं, दलितों, और अन्य वंचित समूहों के सशक्तिकरण के लिए काम करने का संकल्प लिया है। उन्होंने जातिवाद, लिंगभेद, और अन्य प्रकार के भेदभाव को समाप्त करने की आवश्यकता पर भी जोर दिया है। उपराष्ट्रपति श्री धनखड़ ने विभिन्न सामाजिक न्याय सम्मेलनों और कार्यक्रमों में भाग लिया है, जहाँ उन्होंने सामाजिक न्याय और समानता के महत्व पर अपने विचार व्यक्त किए हैं।
उपराष्ट्रपति श्री जगदीप धनखड़ कला और संस्कृति को भी बढ़ावा देते हैं। उन्होंने भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने और बढ़ावा देने की आवश्यकता पर जोर दिया है। उन्होंने कला और संस्कृति को शिक्षा और पर्यटन के साथ जोड़ने की आवश्यकता पर भी जोर दिया है। उपराष्ट्रपति श्री धनखड़ ने विभिन्न कला प्रदर्शनियों और सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भाग लिया है, जहाँ उन्होंने कलाकारों और सांस्कृतिक कार्यकर्ताओं को प्रोत्साहित किया है।
उपराष्ट्रपति श्री जगदीप धनखड़ स्वास्थ्य और कल्याण को भी प्राथमिकता देते हैं। उन्होंने सभी नागरिकों के लिए सस्ती और गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाएं सुनिश्चित करने की आवश्यकता पर जोर दिया है। उन्होंने योग और आयुर्वेद जैसी पारंपरिक भारतीय चिकित्सा प्रणालियों को बढ़ावा देने की आवश्यकता पर भी जोर दिया है। उपराष्ट्रपति श्री धनखड़ ने विभिन्न स्वास्थ्य शिविरों और कल्याण कार्यक्रमों में भाग लिया है, जहाँ उन्होंने लोगों को स्वस्थ जीवन शैली अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया है।
उपराष्ट्रपति श्री जगदीप धनखड़ पर्यावरण और सतत विकास के प्रति भी जागरूक हैं। उन्होंने पर्यावरण को संरक्षित करने और जलवायु परिवर्तन से निपटने की आवश्यकता पर जोर दिया है। उन्होंने नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों को बढ़ावा देने और प्रदूषण को कम करने की आवश्यकता पर भी जोर दिया है। उपराष्ट्रपति श्री धनखड़ ने विभिन्न पर्यावरण सम्मेलनों और कार्यक्रमों में भाग लिया है, जहाँ उन्होंने पर्यावरण संरक्षण और सतत विकास के महत्व पर अपने विचार व्यक्त किए हैं।
उपराष्ट्रपति श्री जगदीप धनखड़ प्रशासन और शासन में सुधार के लिए भी प्रतिबद्ध हैं। उन्होंने भ्रष्टाचार को कम करने और पारदर्शिता और जवाबदेही को बढ़ावा देने की आवश्यकता पर जोर दिया है। उन्होंने सरकारी सेवाओं को अधिक कुशल और प्रभावी बनाने की आवश्यकता पर भी जोर दिया है। उपराष्ट्रपति श्री धनखड़ ने विभिन्न प्रशासनिक सम्मेलनों और कार्यक्रमों में भाग लिया है, जहाँ उन्होंने प्रशासन और शासन में सुधार के लिए अपने सुझाव दिए हैं।
उपराष्ट्रपति श्री जगदीप धनखड़ नागरिक जुड़ाव को बढ़ावा देने के लिए भी प्रतिबद्ध हैं। उन्होंने नागरिकों को सरकारी नीतियों और कार्यक्रमों में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित किया है। उन्होंने नागरिकों को अपने अधिकारों और जिम्मेदारियों के बारे में जागरूक होने के लिए भी प्रोत्साहित किया है। उपराष्ट्रपति श्री धनखड़ ने विभिन्न नागरिक जुड़ाव कार्यक्रमों में भाग लिया है, जहाँ उन्होंने नागरिकों के साथ बातचीत की है और उनकी समस्याओं को सुनने का प्रयास किया है।
उपराष्ट्रपति श्री जगदीप धनखड़ भारत को एक मजबूत, समृद्ध, और न्यायपूर्ण राष्ट्र बनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। उन्होंने सभी नागरिकों को समान अवसर सुनिश्चित करने, देश के विकास और प्रगति को बढ़ावा देने, और भारत की सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने का संकल्प लिया है। उपराष्ट्रपति श्री धनखड़ ने भारत को एक वैश्विक नेता बनाने और अंतर्राष्ट्रीय मंच पर भारत की आवाज को मजबूत करने का भी संकल्प लिया है। उनका दृष्टिकोण भारत को एक उज्ज्वल भविष्य की ओर ले जाने का है, जहाँ सभी नागरिक शांति, समृद्धि, और सम्मान के साथ रह सकें।
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