ब्रिटेन की राजनीति में ऋषि सुनक का उदय एक उल्लेखनीय घटना है। एक आप्रवासी पृष्ठभूमि से आने वाले, और अपेक्षाकृत कम उम्र में प्रधानमंत्री पद तक पहुंचने वाले सुनक ने कई लोगों के लिए उम्मीद की किरण जगाई है। लेकिन उनकी कहानी सिर्फ प्रेरणादायक नहीं है; यह चुनौतियों, विवादों और एक ऐसे देश का नेतृत्व करने की जटिलताओं से भरी है जो ब्रेक्सिट के बाद अपनी पहचान को फिर से परिभाषित करने की कोशिश कर रहा है।

ऋषि सुनक का प्रारंभिक जीवन और शिक्षा

ऋषि सुनक का जन्म 12 मई, 1980 को साउथैम्पटन, हैम्पशायर में हुआ था। उनके माता-पिता भारतीय मूल के थे जो पूर्वी अफ्रीका से ब्रिटेन आए थे। सुनक ने विंचेस्टर कॉलेज, एक प्रतिष्ठित पब्लिक स्कूल में शिक्षा प्राप्त की, जहां उन्होंने अकादमिक उत्कृष्टता हासिल की। इसके बाद उन्होंने ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में दर्शनशास्त्र, राजनीति और अर्थशास्त्र (पीपीई) का अध्ययन किया। ऑक्सफोर्ड के बाद, उन्होंने स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय से एमबीए किया, जहां उनकी मुलाकात अपनी पत्नी अक्षता मूर्ति से हुई, जो इंफोसिस के सह-संस्थापक नारायण मूर्ति की बेटी हैं।

राजनीतिक करियर की शुरुआत

सुनक ने 2015 में रिचमंड (यॉर्कशायर) से संसद सदस्य बनकर राजनीति में प्रवेश किया। यह क्षेत्र कंजरवेटिव पार्टी का गढ़ माना जाता है, और सुनक ने आसानी से चुनाव जीता। संसद में अपने शुरुआती वर्षों में, सुनक ने ट्रेजरी कमेटी के सदस्य के रूप में कार्य किया और ब्रेक्सिट के समर्थक थे। उन्होंने तर्क दिया कि यूरोपीय संघ से बाहर निकलने से ब्रिटेन को अपनी सीमाओं पर नियंत्रण हासिल करने और नए व्यापारिक अवसर तलाशने का मौका मिलेगा।

चांसलर के रूप में कार्यकाल

फरवरी 2020 में, सुनक को चांसलर ऑफ द एक्सचेकर नियुक्त किया गया, जो ब्रिटिश सरकार में दूसरा सबसे महत्वपूर्ण पद है। उनका कार्यकाल ऐसे समय में शुरू हुआ जब दुनिया कोविड-19 महामारी से जूझ रही थी। चांसलर के रूप में, सुनक को एक अभूतपूर्व आर्थिक संकट से निपटना पड़ा। उन्होंने व्यवसायों और व्यक्तियों का समर्थन करने के लिए कई उपाय पेश किए, जिनमें फर्लो योजना, "ईट आउट टू हेल्प आउट" योजना और व्यवसायों के लिए ऋण गारंटी शामिल हैं।

फर्लो योजना, जिसने लाखों श्रमिकों के वेतन का भुगतान किया, विशेष रूप से सफल रही और इसने बड़े पैमाने पर बेरोजगारी को रोकने में मदद की। हालांकि, सुनक की नीतियों की आलोचना भी हुई। कुछ लोगों ने तर्क दिया कि उन्होंने महामारी के दौरान पर्याप्त खर्च नहीं किया, जबकि अन्य ने चेतावनी दी कि सरकारी ऋण का स्तर अस्थिर हो रहा है।

प्रधानमंत्री पद की राह

जुलाई 2022 में, बोरिस जॉनसन के इस्तीफे के बाद, सुनक ने कंजरवेटिव पार्टी के नेता और प्रधानमंत्री पद के लिए चुनाव लड़ा। वह सांसदों के पहले कुछ दौरों में सबसे आगे रहे, लेकिन अंततः पार्टी सदस्यों के मतदान में लिज़ ट्रस से हार गए। ट्रस का कार्यकाल ऐतिहासिक रूप से कम समय तक चला, और उनकी आर्थिक नीतियों ने वित्तीय बाजारों में उथल-पुथल मचा दी। ट्रस के इस्तीफे के बाद, सुनक को अक्टूबर 2022 में निर्विरोध कंजरवेटिव पार्टी का नेता चुना गया और वे ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बने।

प्रधानमंत्री के रूप में चुनौतियां

ऋषि सुनक ने ऐसे समय में प्रधानमंत्री पद संभाला जब ब्रिटेन कई गंभीर चुनौतियों का सामना कर रहा था। इनमें शामिल हैं:

  • उच्च मुद्रास्फीति: ब्रिटेन में मुद्रास्फीति पिछले 40 वर्षों में अपने उच्चतम स्तर पर है, जिससे लोगों के जीवन यापन की लागत बढ़ रही है।
  • आर्थिक मंदी: कई अर्थशास्त्रियों का मानना है कि ब्रिटेन पहले से ही मंदी में है, और आने वाले महीनों में स्थिति और खराब हो सकती है।
  • राष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवा (एनएचएस) संकट: एनएचएस अभिभूत है, मरीजों को लंबे समय तक इंतजार करना पड़ रहा है और कर्मचारियों की कमी है।
  • यूक्रेन युद्ध: यूक्रेन में युद्ध ने ऊर्जा की कीमतों को बढ़ा दिया है और वैश्विक अर्थव्यवस्था को अस्थिर कर दिया है।

इन चुनौतियों के अलावा, सुनक को अपनी पार्टी के भीतर गहरे विभाजन का भी सामना करना पड़ रहा है। कुछ कंजरवेटिव सांसद उनकी नीतियों का समर्थन करते हैं, जबकि अन्य उन्हें बहुत उदार मानते हैं।

ऋषि सुनक की नीतियां

प्रधानमंत्री के रूप में, सुनक ने अर्थव्यवस्था को स्थिर करने और सार्वजनिक सेवाओं में सुधार करने पर ध्यान केंद्रित किया है। उन्होंने मुद्रास्फीति को कम करने, सरकारी ऋण को कम करने और एनएचएस में निवेश बढ़ाने का वादा किया है।

उनकी कुछ प्रमुख नीतियों में शामिल हैं:

  • कॉरपोरेशन टैक्स में वृद्धि: सुनक ने कॉरपोरेशन टैक्स को 19% से बढ़ाकर 25% कर दिया है। उन्होंने तर्क दिया कि इससे सरकारी राजस्व में वृद्धि होगी और सार्वजनिक सेवाओं के लिए धन उपलब्ध होगा।
  • ऊर्जा कंपनियों पर विंडफॉल टैक्स: सुनक ने ऊर्जा कंपनियों पर विंडफॉल टैक्स लगाया है, जिससे उन्हें रिकॉर्ड मुनाफा हो रहा है। उन्होंने कहा है कि इस पैसे का इस्तेमाल लोगों को ऊर्जा बिलों में मदद करने के लिए किया जाएगा।
  • एनएचएस में निवेश: सुनक ने एनएचएस में निवेश बढ़ाने का वादा किया है। उन्होंने कहा है कि इससे मरीजों के लिए प्रतीक्षा समय कम होगा और देखभाल की गुणवत्ता में सुधार होगा।

सुनक की नीतियों की मिली-जुली प्रतिक्रिया हुई है। कुछ लोगों ने उनका समर्थन किया है, जबकि अन्य ने उनकी आलोचना की है। यह देखना बाकी है कि क्या वे ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था को स्थिर करने और सार्वजनिक सेवाओं में सुधार करने में सफल होंगे।

विवाद और आलोचनाएं

अपने राजनीतिक करियर के दौरान, ऋषि सुनक कई विवादों और आलोचनाओं का शिकार रहे हैं। इनमें शामिल हैं:

  • गैर-अधिवास कर स्थिति: यह पता चला कि सुनक की पत्नी अक्षता मूर्ति ने गैर-अधिवास कर स्थिति का दावा किया है, जिसका अर्थ है कि उन्होंने ब्रिटेन में अपनी विदेशी आय पर कर नहीं चुकाया है। इससे व्यापक आक्रोश फैल गया, और सुनक पर अपने परिवार के वित्तीय हितों को सार्वजनिक कर्तव्य से ऊपर रखने का आरोप लगाया गया।
  • ग्रीन कार्ड विवाद: सुनक ने स्वीकार किया कि उन्होंने चांसलर रहते हुए अमेरिकी ग्रीन कार्ड रखा था। इसने हितों के टकराव के बारे में सवाल उठाए, क्योंकि सुनक ब्रिटिश अर्थव्यवस्था के प्रभारी थे जबकि वे संयुक्त राज्य अमेरिका में स्थायी निवास के लिए भी प्रयास कर रहे थे।
  • पार्टीगेट: सुनक को "पार्टीगेट" घोटाले में भी आलोचना का सामना करना पड़ा, जिसमें आरोप लगाया गया था कि लॉकडाउन के दौरान डाउनिंग स्ट्रीट में पार्टियां आयोजित की गई थीं। सुनक को एक पार्टी में भाग लेने के लिए जुर्माना लगाया गया था, और उन पर झूठ बोलने का आरोप लगाया गया था।

इन विवादों ने सुनक की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाया है और उनकी विश्वसनीयता पर सवाल उठाए हैं।

भविष्य की संभावनाएं

ऋषि सुनक के सामने प्रधानमंत्री के रूप में कई चुनौतियां हैं, लेकिन उनके पास सफल होने का अवसर भी है। वह एक प्रतिभाशाली और महत्वाकांक्षी राजनीतिज्ञ हैं, और उनके पास अर्थव्यवस्था को प्रबंधित करने और सार्वजनिक सेवाओं में सुधार करने का अनुभव है।

उनकी सफलता कई कारकों पर निर्भर करेगी, जिनमें शामिल हैं:

  • मुद्रास्फीति को कम करना: यदि सुनक मुद्रास्फीति को कम करने में सफल होते हैं, तो इससे लोगों के जीवन यापन की लागत कम हो जाएगी और अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलेगा।
  • आर्थिक मंदी से बचना: यदि सुनक आर्थिक मंदी से बच सकते हैं, तो इससे बेरोजगारी कम होगी और सरकारी राजस्व में वृद्धि होगी।
  • एनएचएस में सुधार: यदि सुनक एनएचएस में सुधार कर सकते हैं, तो इससे मरीजों के लिए प्रतीक्षा समय कम होगा और देखभाल की गुणवत्ता में सुधार होगा।
  • अपनी पार्टी को एकजुट करना: यदि सुनक अपनी पार्टी को एकजुट कर सकते हैं, तो वे अपनी नीतियों को लागू करने और देश का नेतृत्व करने में अधिक प्रभावी होंगे।

ऋषि सुनक एक ऐतिहासिक शख्सियत हैं। वह ब्रिटेन के पहले एशियाई मूल के प्रधानमंत्री हैं, और उन्होंने एक ऐसे समय में पदभार संभाला है जब देश कई गंभीर चुनौतियों का सामना कर रहा है। यह देखना बाकी है कि क्या वह सफल होंगे, लेकिन उनकी कहानी पहले से ही कई लोगों के लिए प्रेरणादायक है। rishi sunak की नीतियां निश्चित रूप से आने वाले वर्षों में ब्रिटेन की राजनीति को आकार देंगी।

ऋषि सुनक की यात्रा प्रेरणादायक है। एक आप्रवासी परिवार में जन्मे, उन्होंने कड़ी मेहनत और दृढ़ संकल्प के माध्यम से देश के सर्वोच्च पद को प्राप्त किया। उनकी

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