CSAB Round 3 Result: जानिए क्या है आगे की प्रक्रिया
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read moreभारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के गवर्नरों की सूची में कई ऐसे नाम हैं जिन्होंने देश की अर्थव्यवस्था को दिशा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उनमें से एक हैं डॉ. उर्जित पटेल। उनका कार्यकाल भले ही संक्षिप्त रहा हो, लेकिन उन्होंने कई ऐसे नीतिगत फैसले लिए जिनका प्रभाव आज भी भारतीय अर्थव्यवस्था पर दिखाई देता है।
उर्जित पटेल का जन्म 28 अक्टूबर, 1963 को केन्या में हुआ था। उन्होंने लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से अर्थशास्त्र में स्नातक की उपाधि प्राप्त की और फिर ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय से एम.फिल. किया। उन्होंने येल विश्वविद्यालय से पीएचडी भी की है। डॉ. पटेल एक अनुभवी अर्थशास्त्री हैं और उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) में भी काम किया है।
उर्जित पटेल ने 4 सितंबर, 2016 को RBI के 24वें गवर्नर के रूप में पदभार संभाला। उन्होंने रघुराम राजन का स्थान लिया था। उनका कार्यकाल दिसंबर 2018 तक चला। अपने कार्यकाल के दौरान, उन्होंने कई महत्वपूर्ण नीतिगत फैसले लिए, जिनमें से कुछ विवादास्पद भी रहे।
उर्जित पटेल के कार्यकाल की सबसे महत्वपूर्ण उपलब्धियों में से एक मुद्रास्फीति लक्ष्यीकरण ढांचे को लागू करना था। इस ढांचे के तहत, RBI को मुद्रास्फीति को एक निश्चित सीमा के भीतर रखने का लक्ष्य दिया गया था। इससे मौद्रिक नीति को अधिक पारदर्शी और जवाबदेह बनाने में मदद मिली। यह एक बड़ा कदम था, क्योंकि इससे यह तय हो गया कि RBI का मुख्य फोकस महंगाई को काबू में रखना है, जिससे आम आदमी को राहत मिल सके।
नवंबर 2016 में, सरकार ने 500 और 1000 रुपये के नोटों को चलन से बाहर कर दिया। इस फैसले को नोटबंदी के नाम से जाना जाता है। उर्जित पटेल RBI के गवर्नर के रूप में इस फैसले के कार्यान्वयन में शामिल थे। नोटबंदी का उद्देश्य काले धन को बाहर निकालना, नकली नोटों को रोकना और डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देना था। हालांकि, इस फैसले की काफी आलोचना भी हुई थी, क्योंकि इससे आम लोगों को काफी परेशानी हुई थी।
उर्जित पटेल के कार्यकाल के दौरान, सरकार ने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का पुनर्पूंजीकरण किया। इसका उद्देश्य बैंकों को अपनी बैलेंस शीट को मजबूत करने और ऋण देने की क्षमता को बढ़ाने में मदद करना था। यह कदम इसलिए जरूरी था क्योंकि कई बैंक गैर-निष्पादित परिसंपत्तियों (NPA) की समस्या से जूझ रहे थे। सरकार ने बैंकों में पूंजी डालकर उन्हें वित्तीय रूप से मजबूत करने का प्रयास किया।
उर्जित पटेल के कार्यकाल के दौरान RBI ने गैर-निष्पादित परिसंपत्तियों (NPA) की समस्या से निपटने के लिए कई कदम उठाए। इनमें दिवाला और दिवालियापन संहिता (IBC) को लागू करना और बैंकों को NPA के लिए अधिक प्रावधान करने के लिए कहना शामिल था। NPA भारतीय बैंकिंग प्रणाली के लिए एक बड़ी समस्या बनी हुई है, और RBI ने इसे हल करने के लिए कई प्रयास किए। उर्जित पटेल का मानना था कि NPA को कम करने से बैंकों की वित्तीय सेहत सुधरेगी और वे अर्थव्यवस्था को अधिक ऋण दे पाएंगे।
उर्जित पटेल का कार्यकाल विवादों से भरा रहा। सरकार और RBI के बीच कई मुद्दों पर मतभेद थे, जिनमें ब्याज दरें, बैंकों का विनियमन और RBI के अधिशेष का हस्तांतरण शामिल था। इन मतभेदों के कारण, उन्होंने दिसंबर 2018 में RBI गवर्नर के पद से इस्तीफा दे दिया। उनका इस्तीफा अप्रत्याशित था और इसने कई लोगों को चौंका दिया।
भले ही उर्जित पटेल का कार्यकाल संक्षिप्त रहा हो, लेकिन उन्होंने भारतीय अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान दिया। उन्होंने मुद्रास्फीति लक्ष्यीकरण ढांचे को लागू किया, बैंकों के पुनर्पूंजीकरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और NPA की समस्या से निपटने के लिए कई कदम उठाए। उनका योगदान भारतीय अर्थव्यवस्था को अधिक स्थिर और टिकाऊ बनाने में सहायक रहा।
उर्जित पटेल के इस्तीफे के बाद, शक्तिकांत दास को RBI का गवर्नर नियुक्त किया गया। शक्तिकांत दास एक अनुभवी नौकरशाह हैं और उन्होंने आर्थिक मामलों के विभाग में सचिव के रूप में भी काम किया है।
उर्जित पटेल एक अनुभवी अर्थशास्त्री और कुशल प्रशासक हैं। उन्होंने RBI गवर्नर के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान कई महत्वपूर्ण नीतिगत फैसले लिए। उनका योगदान भारतीय अर्थव्यवस्था को दिशा देने में महत्वपूर्ण रहा है। भले ही उनका कार्यकाल विवादों से भरा रहा हो, लेकिन उन्होंने देश के लिए जो काम किया, उसे हमेशा याद रखा जाएगा। उन्होंने मुश्किल समय में RBI का नेतृत्व किया और कई चुनौतियों का सामना किया। उर्जित पटेल का मानना था कि RBI को सरकार से स्वतंत्र होकर काम करना चाहिए ताकि वह देश की अर्थव्यवस्था के हित में सही निर्णय ले सके।
आज भी, उर्जित पटेल के कार्यकाल के दौरान लिए गए फैसलों का प्रभाव भारतीय अर्थव्यवस्था पर दिखाई देता है। मुद्रास्फीति लक्ष्यीकरण ढांचा अभी भी लागू है, और सरकार और RBI NPA की समस्या से निपटने के लिए मिलकर काम कर रहे हैं। भारतीय अर्थव्यवस्था लगातार विकसित हो रही है, और RBI को भविष्य में भी कई चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा। लेकिन, उर्जित पटेल के कार्यकाल से सीख लेकर, RBI इन चुनौतियों का सामना करने और देश की अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाने में सक्षम होगा। डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देने और वित्तीय समावेशन को बढ़ाने के लिए उर्जित पटेल ने जो प्रयास किए, वे आज भी जारी हैं।
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