स्टार प्लस: मनोरंजन का नया ठिकाना!
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read moreभारतीय संविधान की प्रस्तावना, जिसे उद्देशिका भी कहा जाता है, हमारे संविधान का सार है। यह वह दर्पण है जो हमारे राष्ट्र के आदर्शों, लक्ष्यों और आकांक्षाओं को प्रतिबिंबित करता है। यह एक संक्षिप्त घोषणा है जो बताती है कि भारत किस प्रकार का राष्ट्र बनना चाहता है। यह न केवल संविधान का एक अभिन्न अंग है, बल्कि यह संविधान के निर्माताओं के सपनों और दर्शन को भी दर्शाता है। यह एक ऐसा दस्तावेज है जो हमें यह याद दिलाता है कि हम कौन हैं, और हम क्या बनना चाहते हैं। यह हमें एकता, न्याय, स्वतंत्रता और समानता के मूल्यों को बनाए रखने के लिए प्रेरित करता है।
प्रस्तावना का महत्व कई कारणों से है। सबसे पहले, यह संविधान के उद्देश्यों को निर्धारित करता है। यह बताती है कि संविधान किस लक्ष्य को प्राप्त करना चाहता है। दूसरा, यह संविधान की व्याख्या करने में मदद करता है। जब संविधान के किसी प्रावधान की व्याख्या में संदेह होता है, तो प्रस्तावना का उपयोग यह निर्धारित करने के लिए किया जा सकता है कि प्रावधान का अर्थ क्या है। तीसरा, यह संविधान की वैधता का स्रोत है। प्रस्तावना यह बताती है कि संविधान भारत के लोगों द्वारा बनाया गया है, और यह उनकी इच्छा का प्रतिनिधित्व करता है। यह एक जीवंत दस्तावेज है जो समय के साथ विकसित हुआ है, लेकिन इसके मूल सिद्धांत आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं जितने पहले थे।
प्रस्तावना में कई महत्वपूर्ण शब्द हैं, जिनमें शामिल हैं:
ये शब्द न केवल कानूनी परिभाषाएँ हैं, बल्कि वे हमारे राष्ट्रीय चरित्र और पहचान के आधारशिला हैं। ये हमें एक साथ बांधते हैं और हमें एक बेहतर भविष्य की ओर ले जाते हैं। यह एक ऐसा दस्तावेज है जो हमें याद दिलाता है कि हम कौन हैं, और हम क्या बनना चाहते हैं।
प्रस्तावना को 1976 में 42वें संशोधन अधिनियम द्वारा संशोधित किया गया था। इस संशोधन के द्वारा, "समाजवादी" और "धर्मनिरपेक्ष" शब्दों को प्रस्तावना में जोड़ा गया था। यह संशोधन इंदिरा गांधी के नेतृत्व वाली सरकार द्वारा किया गया था और इसका उद्देश्य भारत को एक अधिक न्यायपूर्ण और समतावादी समाज बनाना था। कुछ लोगों का मानना है कि यह संशोधन आवश्यक था, जबकि अन्य का मानना है कि यह संविधान के मूल मूल्यों के साथ असंगत था। हालांकि, इस संशोधन के बाद से, प्रस्तावना भारतीय संविधान का एक अभिन्न अंग बनी हुई है। preamble of indian constitution
प्रस्तावना और मौलिक अधिकार दोनों ही भारतीय संविधान के महत्वपूर्ण भाग हैं। मौलिक अधिकार
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