युजवेंद्र चहल: लेग स्पिन के जादूगर!
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read moreभारत में कर प्रणाली हमेशा से ही एक जटिल विषय रहा है, और इसमें लगातार बदलाव होते रहते हैं। हाल ही में, सरकार ने एक नई कर व्यवस्था (new tax regime) पेश की है, जिसका उद्देश्य कर प्रक्रिया को सरल बनाना और करदाताओं को अधिक विकल्प प्रदान करना है। लेकिन यह नई व्यवस्था वास्तव में क्या है, और क्या यह आपके लिए सही है? आइए, इस पर विस्तार से चर्चा करते हैं।
नई कर व्यवस्था, जिसे वित्त वर्ष 2020-21 में पेश किया गया था, एक वैकल्पिक कर प्रणाली है जो कम कर दरों की पेशकश करती है, लेकिन इसके साथ ही कई तरह की छूट और कटौतियों को छोड़ना पड़ता है। इसका मतलब है कि यदि आप नई कर व्यवस्था का चयन करते हैं, तो आप धारा 80C, 80D, HRA आदि के तहत मिलने वाली छूटों का लाभ नहीं उठा पाएंगे। यह एक बड़ा निर्णय है, और इसे लेने से पहले आपको अपनी व्यक्तिगत वित्तीय स्थिति का सावधानीपूर्वक आकलन करना चाहिए।
पुरानी कर व्यवस्था, जो पहले से ही मौजूद है, आपको विभिन्न निवेशों और खर्चों पर कर छूट का दावा करने की अनुमति देती है, जिससे आपकी कर योग्य आय कम हो जाती है। यह उन लोगों के लिए फायदेमंद हो सकता है जो विभिन्न कर-बचत योजनाओं में निवेश करते हैं, जैसे कि पीपीएफ, ईएलएसएस, एनपीएस, आदि।
नई और पुरानी कर व्यवस्था के बीच मुख्य अंतर छूटों और कटौतियों की उपलब्धता और कर दरों में है। नई कर व्यवस्था में, कर दरें कम हैं, लेकिन आपको अधिकांश छूटों और कटौतियों को छोड़ना पड़ता है। पुरानी कर व्यवस्था में, कर दरें अधिक हैं, लेकिन आप विभिन्न छूटों और कटौतियों का दावा कर सकते हैं। यहां कुछ प्रमुख अंतर दिए गए हैं:
नई कर व्यवस्था का चयन करना एक व्यक्तिगत निर्णय है जो आपकी वित्तीय स्थिति और निवेश पैटर्न पर निर्भर करता है। यहां कुछ स्थितियां दी गई हैं जिनमें नई कर व्यवस्था आपके लिए फायदेमंद हो सकती है:
हालांकि, यदि आप विभिन्न कर-बचत योजनाओं में निवेश करते हैं और छूटों और कटौतियों का लाभ उठाते हैं, तो पुरानी कर व्यवस्था आपके लिए अधिक फायदेमंद हो सकती है।
नई कर व्यवस्था के तहत अपनी कर देनदारी की गणना करने के लिए, आपको अपनी कुल आय से कुछ अनुमत कटौतियों को घटाना होगा, जैसे कि नियोक्ता का एनपीएस योगदान। फिर, आपको लागू कर दरों के अनुसार कर की गणना करनी होगी। आप आयकर विभाग की वेबसाइट पर उपलब्ध ऑनलाइन कर कैलकुलेटर का उपयोग करके आसानी से अपनी कर देनदारी की गणना कर सकते हैं।
यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि नई कर व्यवस्था में, आपको मानक कटौती (standard deduction) का लाभ नहीं मिलेगा, जो पुरानी कर व्यवस्था में उपलब्ध है।
सरकार ने नई कर व्यवस्था को और अधिक आकर्षक बनाने के लिए समय-समय पर इसमें बदलाव किए हैं। नवीनतम अपडेट के अनुसार, नई कर व्यवस्था के तहत कर स्लैब को संशोधित किया गया है, जिससे यह और भी अधिक करदाताओं के लिए फायदेमंद हो गई है। इसके अतिरिक्त, सरकार ने नई कर व्यवस्था के तहत कुछ छूटों और कटौतियों को भी शामिल किया है, जिससे यह और अधिक प्रतिस्पर्धी हो गई है। आप new tax regime के बारे में और अधिक जानकारी के लिए आयकर विभाग की वेबसाइट पर जा सकते हैं।
मैंने एक बार अपने एक मित्र को देखा जो अपनी कर योजना को लेकर बहुत भ्रमित था। उसने नई कर व्यवस्था के बारे में सुना था, लेकिन उसे यह नहीं पता था कि यह उसके लिए सही है या नहीं। मैंने उसे अपनी वित्तीय स्थिति का आकलन करने और दोनों कर व्यवस्थाओं के तहत अपनी कर देनदारी की गणना करने में मदद की। अंत में, उसने पाया कि पुरानी कर व्यवस्था उसके लिए अधिक फायदेमंद थी, क्योंकि वह विभिन्न कर-बचत योजनाओं में निवेश करता था। इससे मुझे एहसास हुआ कि कर योजना एक व्यक्तिगत मामला है और इसे सावधानीपूर्वक विचार करने की आवश्यकता है।
भले ही नई कर व्यवस्था अधिक लोकप्रिय हो रही है, लेकिन पुरानी कर व्यवस्था अभी भी कई लोगों के लिए प्रासंगिक है। यदि आप विभिन्न कर-बचत योजनाओं में निवेश करते हैं और छूटों और कटौतियों का लाभ उठाते हैं, तो पुरानी कर व्यवस्था आपके लिए अधिक फायदेमंद हो सकती है। इसके अतिरिक्त, यदि आप एक जटिल कर प्रक्रिया से बचना चाहते हैं और एक सरल प्रणाली का पालन करना चाहते हैं, तो पुरानी कर व्यवस्था आपके लिए एक अच्छा विकल्प हो सकती है।
पुरानी कर व्यवस्था में, आप धारा 80C के तहत 1.5 लाख रुपये तक के निवेश पर कर छूट का दावा कर सकते हैं, जिसमें पीपीएफ, ईएलएसएस, एनएससी, आदि शामिल हैं। इसके अतिरिक्त, आप धारा 80D के तहत स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम पर भी कर छूट का दावा कर सकते हैं।
अपनी कर योजना बनाते समय, यहां कुछ महत्वपूर्ण सुझाव दिए गए हैं:
नई कर व्यवस्था (new tax regime) एक महत्वपूर्ण बदलाव है जो भारत में कर प्रणाली को सरल बनाने और करदाताओं को अधिक विकल्प प्रदान करने का प्रयास करता है। हालांकि, यह सभी के लिए उपयुक्त नहीं है, और आपको अपनी व्यक्तिगत वित्तीय स्थिति का सावधानीपूर्वक आकलन करने के बाद ही इसका चयन करना चाहिए। अपनी कर योजना बनाते समय, अपनी वित्तीय स्थिति, निवेश पैटर्न और कर लक्ष्यों पर विचार करें। यदि आवश्यक हो, तो कर विशेषज्ञों से सलाह लें ताकि आप सही निर्णय ले सकें। अधिक जानकारी के लिए आप new tax regime पर क्लिक कर सकते हैं।
अंत में, यह याद रखना महत्वपूर्ण है कि कर योजना एक सतत प्रक्रिया है और इसे समय-समय पर समीक्षा करने और अपडेट करने की आवश्यकता होती है ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि यह आपकी बदलती वित्तीय स्थिति और कर कानूनों के अनुकूल है।
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