राकेश रोशन: बॉलीवुड के दिग्गज निर्देशक
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read moreझेलम नदी के किनारे बसे इलाकों में बाढ़ की स्थिति गंभीर होती जा रही है। लगातार बारिश और पहाड़ों से आ रहे पानी के कारण नदी का जलस्तर खतरे के निशान से ऊपर पहुंच गया है। कई निचले इलाके जलमग्न हो गए हैं, जिससे हजारों लोग प्रभावित हुए हैं। यह स्थिति न केवल जान-माल के नुकसान का कारण बन रही है, बल्कि स्थानीय अर्थव्यवस्था और सामाजिक ताने-बाने को भी बुरी तरह से प्रभावित कर रही है। flood situation near jhelum river
बाढ़ के कई कारण हो सकते हैं, जिनमें जलवायु परिवर्तन, वनों की कटाई और अनियोजित शहरीकरण प्रमुख हैं। जलवायु परिवर्तन के कारण बारिश के पैटर्न में बदलाव आया है, जिससे कम समय में अधिक बारिश हो रही है। वनों की कटाई के कारण मिट्टी की पानी सोखने की क्षमता कम हो गई है, जिससे पानी तेजी से नदियों में पहुंच रहा है। अनियोजित शहरीकरण के कारण जल निकासी की व्यवस्था बाधित हो गई है, जिससे पानी जमा हो रहा है और बाढ़ की स्थिति उत्पन्न हो रही है।
बाढ़ के प्रभाव व्यापक और विनाशकारी होते हैं। जान-माल का नुकसान तो होता ही है, साथ ही बुनियादी ढांचे को भी भारी नुकसान पहुंचता है। सड़कें, पुल, मकान और अन्य इमारतें क्षतिग्रस्त हो जाती हैं, जिससे लोगों का जीवन अस्त-व्यस्त हो जाता है। बाढ़ के बाद बीमारियां फैलने का खतरा भी बढ़ जाता है, क्योंकि दूषित पानी और गंदगी से संक्रमण फैलने की संभावना अधिक होती है। कृषि क्षेत्र को भी भारी नुकसान होता है, क्योंकि फसलें बर्बाद हो जाती हैं और किसानों की आजीविका छिन जाती है।
बाढ़ की स्थिति को देखते हुए, सरकार और विभिन्न गैर-सरकारी संगठन राहत और बचाव कार्यों में जुटे हुए हैं। प्रभावित लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जा रहा है और उन्हें भोजन, पानी, दवाइयां और अन्य आवश्यक वस्तुएं उपलब्ध कराई जा रही हैं। राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) और राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (SDMA) के जवान बचाव कार्यों में लगे हुए हैं। सेना और अन्य सुरक्षा बल भी मदद के लिए आगे आए हैं। flood situation near jhelum river
स्थानीय समुदाय भी एक-दूसरे की मदद करने के लिए आगे आ रहे हैं। लोग अपने घरों में बाढ़ पीड़ितों को आश्रय दे रहे हैं और उन्हें भोजन और पानी उपलब्ध करा रहे हैं। स्वयंसेवी संगठन भी राहत सामग्री एकत्र करके प्रभावित इलाकों में पहुंचा रहे हैं। यह एकजुटता और मानवीयता का एक सराहनीय उदाहरण है।
बाढ़ एक प्राकृतिक आपदा है, लेकिन इसके प्रभावों को कम करने के लिए कई दीर्घकालिक समाधान मौजूद हैं। जलवायु परिवर्तन को कम करने के लिए वैश्विक स्तर पर प्रयास करने की आवश्यकता है। वनों की कटाई को रोकना और अधिक से अधिक पेड़ लगाना जरूरी है। जल निकासी की व्यवस्था को बेहतर बनाने और अनियोजित शहरीकरण को रोकने के लिए सख्त कदम उठाने चाहिए।
नदी के किनारे बसे इलाकों में बाढ़ नियंत्रण के लिए बांध और तटबंध बनाने चाहिए। बाढ़ पूर्वानुमान और चेतावनी प्रणाली को बेहतर बनाना चाहिए, ताकि लोगों को समय रहते सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जा सके। लोगों को बाढ़ के खतरे के बारे में जागरूक करना और उन्हें आपदा प्रबंधन के लिए तैयार करना भी महत्वपूर्ण है। flood situation near jhelum river
झेलम नदी न केवल जम्मू और कश्मीर के लिए, बल्कि पूरे क्षेत्र के लिए एक महत्वपूर्ण जीवन रेखा है। यह नदी सिंचाई, पेयजल और बिजली उत्पादन का एक महत्वपूर्ण स्रोत है। यह नदी स्थानीय संस्कृति और परंपराओं का भी एक अभिन्न अंग है।
मैंने खुद झेलम नदी के किनारे बचपन बिताया है। मुझे याद है, गर्मियों में हम नदी में तैरते थे और मछलियां पकड़ते थे। नदी के किनारे खेलना और पिकनिक मनाना हमारी दिनचर्या का हिस्सा था। लेकिन अब, जब मैं देखता हूं कि नदी में बाढ़ आ रही है और लोगों को अपने घर छोड़कर भागना पड़ रहा है, तो मुझे बहुत दुख होता है।
कुछ साल पहले, मेरे गांव में भी बाढ़ आई थी। मैंने अपनी आंखों से देखा कि बाढ़ किस तरह से लोगों के जीवन को तबाह कर देती है। मैंने देखा कि लोग अपने घर, अपनी जमीन और अपनी आजीविका खो देते हैं। मैंने देखा कि लोग किस तरह से बेघर और बेसहारा हो जाते हैं। उस अनुभव ने मुझे आपदा प्रबंधन के महत्व को समझाया।
उस घटना के बाद, मैंने आपदा प्रबंधन में प्रशिक्षण लिया और अब मैं एक स्वयंसेवी के रूप में काम करता हूं। मैं लोगों को बाढ़ के खतरे के बारे में जागरूक करता हूं और उन्हें आपदा प्रबंधन के लिए तैयार करता हूं। मैं लोगों को बाढ़ के दौरान और बाद में मदद करता हूं। मेरा मानना है कि हम सभी को आपदा प्रबंधन के लिए तैयार रहना चाहिए, ताकि हम किसी भी आपदा का सामना कर सकें।
बाढ़ एक गंभीर समस्या है, लेकिन हम सभी मिलकर इसके प्रभावों को कम कर सकते हैं। हमें जलवायु परिवर्तन को कम करने, वनों की कटाई को रोकने और जल निकासी की व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए प्रयास करने चाहिए। हमें बाढ़ नियंत्रण के लिए दीर्घकालिक समाधान खोजने चाहिए और लोगों को आपदा प्रबंधन के लिए तैयार करना चाहिए। एकजुट होकर और समझदारी से काम करके, हम बाढ़ के खतरे को कम कर सकते हैं और अपने समुदायों को सुरक्षित बना सकते हैं।
यह जरूरी है कि हम प्रभावित लोगों के साथ सहानुभूति रखें और उनकी मदद के लिए आगे आएं। छोटी सी मदद भी किसी के जीवन में बड़ा बदलाव ला सकती है।
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