मार्टिन ओडेगार्ड: प्रतिभा, करियर, और भविष्य
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read moreएकादशी, हिन्दू धर्म में एक महत्वपूर्ण व्रत है। यह व्रत भगवान विष्णु को समर्पित है और प्रत्येक महीने की दोनों एकादशियों (शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष) को मनाया जाता है। एकादशी का व्रत न केवल धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि यह शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी लाभकारी माना जाता है। इस लेख में, हम एकादशी व्रत के महत्व, विधि और कुछ प्रसिद्ध पौराणिक कथाओं पर विस्तार से चर्चा करेंगे।
हिन्दू धर्म में एकादशी व्रत को मोक्ष प्राप्ति का मार्ग माना गया है। मान्यता है कि इस व्रत को विधि-विधान से करने से व्यक्ति के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और उसे भगवान विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त होता है। एकादशी व्रत के प्रभाव से व्यक्ति को जन्म-मरण के चक्र से मुक्ति मिलती है और वह बैकुंठ धाम को प्राप्त होता है।
यह व्रत न केवल आध्यात्मिक रूप से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह शारीरिक रूप से भी लाभकारी है। एकादशी के दिन व्रत रखने से पाचन तंत्र को आराम मिलता है और शरीर में जमा विषैले तत्व बाहर निकल जाते हैं। इससे शरीर स्वस्थ रहता है और मन शांत होता है।
एकादशी व्रत को करने की एक निश्चित विधि है, जिसका पालन करना आवश्यक है। यहां एकादशी व्रत की विधि का विस्तृत विवरण दिया गया है:
एकादशी व्रत से जुड़ी कई पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं, जो इस व्रत के महत्व को दर्शाती हैं। यहां कुछ प्रमुख एकादशी व्रत कथाओं का वर्णन किया गया है:
उत्पन्ना एकादशी की कथा के अनुसार, प्राचीन काल में मुर नामक एक शक्तिशाली राक्षस था, जिसने देवताओं को पराजित कर स्वर्ग पर अधिकार कर लिया था। देवताओं ने भगवान विष्णु से सहायता मांगी। भगवान विष्णु ने मुर राक्षस से युद्ध किया और उसे पराजित कर दिया। युद्ध के दौरान, भगवान विष्णु को नींद आने लगी, तो वे बद्रिकाश्रम में हेमवती गुफा में विश्राम करने चले गए। मुर राक्षस ने उन्हें मारने का प्रयास किया, तभी भगवान विष्णु के शरीर से एक देवी प्रकट हुईं और उन्होंने मुर राक्षस का वध कर दिया। भगवान विष्णु ने उस देवी को एकादशी नाम दिया और वरदान दिया कि जो भी एकादशी के दिन व्रत रखेगा, उसके सभी पाप नष्ट हो जाएंगे। एकादशी व्रत कथा इसी घटना से जुड़ी है।
मोहिनी एकादशी की कथा समुद्र मंथन से जुड़ी है। समुद्र मंथन के दौरान, जब अमृत कलश निकला, तो देवताओं और असुरों के बीच उसे पाने के लिए विवाद हो गया। भगवान विष्णु ने मोहिनी रूप धारण कर देवताओं को अमृत पिलाया और असुरों को वंचित कर दिया। जिस दिन भगवान विष्णु ने मोहिनी रूप धारण किया था, उस दिन एकादशी थी। इसलिए, मोहिनी एकादशी को विशेष महत्व दिया जाता है।
निर्जला एकादशी सबसे कठिन एकादशी व्रतों में से एक है। इस व्रत में जल का सेवन
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