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read moreफरिदा परवीन, एक ऐसा नाम जो बांग्लादेशी लोक संगीत में गूंजता है। उनकी आवाज़ में मिट्टी की सोंधी खुशबू है, नदियों का कलकल है और बंगाल के ग्रामीण जीवन की सादगी है। वो सिर्फ एक गायिका नहीं हैं, बल्कि एक संस्कृति, एक विरासत हैं। उन्होंने अपनी गायकी से लोक संगीत को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया है और इसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई है।
फरिदा परवीन का जन्म नटोर जिले के सिंगरा में हुआ था। बचपन से ही उन्हें संगीत में रुचि थी। उनके पिता, ज़ाहिद हुसैन, एक संगीत प्रेमी थे और उन्होंने फरिदा को संगीत की बुनियादी शिक्षा दी। उन्होंने 1960 के दशक में रेडियो पाकिस्तान में गाना शुरू किया और जल्द ही अपनी प्रतिभा से लोगों का ध्यान आकर्षित किया। उनका शुरुआती संगीत सफर शास्त्रीय संगीत से प्रभावित था, लेकिन धीरे-धीरे उन्होंने लोक संगीत की ओर रुख किया, जो उनकी असली पहचान बन गया।
फरिदा परवीन ने लोक संगीत को सिर्फ एक शैली के रूप में नहीं अपनाया, बल्कि इसे अपने जीवन का हिस्सा बना लिया। उन्होंने लालन फकीर, हासन राजा और शाह अब्दुल करीम जैसे महान लोक गायकों के गीतों को अपनी आवाज़ दी और उन्हें अमर कर दिया। फरिदा परवीन की गायकी में एक खास तरह का दर्द, एक विरह का भाव होता है जो सीधे श्रोताओं के दिल को छू जाता है। उनकी आवाज़ में एक अलग ही कशिश है जो लोगों को बांधे रखती है। मुझे याद है, एक बार मैं ढाका में एक कार्यक्रम में उनकी गायकी सुन रहा था। उनकी आवाज़ सुनकर ऐसा लग रहा था जैसे बंगाल की मिट्टी बोल रही हो। उस दिन मुझे समझ आया कि फरिदा परवीन सिर्फ एक गायिका नहीं, बल्कि एक एहसास हैं।
फरिदा परवीन ने अनगिनत लोकप्रिय गीत गाए हैं, जिनमें से कुछ निम्नलिखित हैं:
ये गीत न केवल बांग्लादेश में बल्कि पूरी दुनिया में लोकप्रिय हैं। इन गीतों में बंगाल के ग्रामीण जीवन, प्रेम, विरह और सामाजिक मुद्दों को दर्शाया गया है। फरिदा परवीन ने अपनी गायकी से इन गीतों को जीवंत कर दिया है।
फरिदा परवीन को उनके संगीत के योगदान के लिए कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है। उन्हें 1987 में एकुशे पदक, 1993 में शिल्पकला अकादमी पुरस्कार और 2008 में स्वतंत्रता पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। इसके अलावा, उन्हें कई अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी सम्मानित किया गया है। ये पुरस्कार उनकी प्रतिभा और लोक संगीत के प्रति उनके समर्पण का प्रतीक हैं। फरिदा परवीन का मानना है कि पुरस्कार सिर्फ सम्मान नहीं हैं, बल्कि जिम्मेदारी भी हैं। उनका कहना है कि उन्हें लोक संगीत को आगे बढ़ाने और इसे नई पीढ़ी तक पहुंचाने की जिम्मेदारी है।
फरिदा परवीन ने बांग्लादेशी लोक संगीत को विश्व स्तर पर पहचान दिलाई है। उन्होंने कई युवा गायकों को लोक संगीत में करियर बनाने के लिए प्रेरित किया है। वह एक प्रेरणा स्रोत हैं और उन्होंने साबित कर दिया है कि प्रतिभा और मेहनत से किसी भी मुकाम को हासिल किया जा सकता है। उनका योगदान न केवल संगीत के क्षेत्र में है, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक क्षेत्र में भी है। उन्होंने अपनी गायकी से लोगों को एकजुट करने और समाज में सकारात्मक बदलाव लाने का काम किया है।
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