NEET PG Result 2025: आपका भविष्य, हमारी जानकारी
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read moreबुढ़वा मंगल, जिसे बड़ा मंगल के नाम से भी जाना जाता है, उत्तर भारत, विशेषकर उत्तर प्रदेश में मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण त्योहार है। यह पर्व हनुमान जी को समर्पित है और ज्येष्ठ मास के प्रत्येक मंगलवार को मनाया जाता है। इस दिन हनुमान जी की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है और भक्त उन्हें प्रसन्न करने के लिए विभिन्न प्रकार के अनुष्ठान करते हैं।
बुढ़वा मंगल का इतिहास सदियों पुराना है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन हनुमान जी ने भगवान राम के लिए कई महत्वपूर्ण कार्य किए थे। कुछ कथाओं के अनुसार, हनुमान जी ने इसी दिन लंका दहन किया था और सीता माता का पता लगाया था। इसलिए, यह दिन हनुमान भक्तों के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है।
इस पर्व का महत्व इसलिए भी है क्योंकि यह हमें शक्ति, भक्ति और सेवाभाव का संदेश देता है। हनुमान जी को शक्ति और भक्ति का प्रतीक माना जाता है। उनकी पूजा करने से भक्तों को साहस और आत्मविश्वास मिलता है। इसके अलावा, यह पर्व हमें दूसरों की सेवा करने और जरूरतमंदों की मदद करने की प्रेरणा भी देता है।
बुढ़वा मंगल के दिन हनुमान मंदिरों में विशेष आयोजन किए जाते हैं। भक्त सुबह जल्दी उठकर स्नान करते हैं और हनुमान जी की प्रतिमा को सिंदूर और चमेली के तेल से सजाते हैं। उन्हें फूल, फल, मिठाई और अन्य प्रकार के प्रसाद अर्पित किए जाते हैं।
इस दिन हनुमान चालीसा और बजरंग बाण का पाठ करना बहुत ही शुभ माना जाता है। कई लोग सुंदरकांड का पाठ भी करते हैं। मंदिरों में भजन-कीर्तन का आयोजन किया जाता है, जिसमें भक्त हनुमान जी के भजनों को गाते हैं और नाचते हैं।
बुढ़वा मंगल के दिन भंडारे का आयोजन करना भी एक महत्वपूर्ण परंपरा है। भंडारे में गरीबों और जरूरतमंदों को भोजन कराया जाता है। कई लोग इस दिन दान-पुण्य भी करते हैं।
बुढ़वा मंगल से जुड़ी कई खास बातें हैं जो इसे और भी महत्वपूर्ण बनाती हैं।
उत्तर प्रदेश में बुढ़वा मंगल बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है। यहां के हनुमान मंदिरों में विशेष आयोजन किए जाते हैं। लखनऊ, इलाहाबाद, वाराणसी और अयोध्या जैसे शहरों में इस पर्व की विशेष रौनक देखने को मिलती है।
लखनऊ में अलीगंज स्थित हनुमान मंदिर में बुढ़वा मंगल के दिन लाखों भक्त दर्शन के लिए आते हैं। यहां पर विशाल भंडारे का आयोजन किया जाता है, जिसमें हजारों लोग भोजन करते हैं। इलाहाबाद में संगम तट पर हनुमान जी की लेटे हुए प्रतिमा है, जहां पर बुढ़वा मंगल के दिन विशेष पूजा-अर्चना की जाती है।
वाराणसी में संकट मोचन हनुमान मंदिर में बुढ़वा मंगल के दिन विशेष आरती का आयोजन किया जाता है। अयोध्या में हनुमानगढ़ी मंदिर में भी इस दिन भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है।
मुझे याद है, एक बार मैं अपने परिवार के साथ लखनऊ के अलीगंज हनुमान मंदिर में बुढ़वा मंगल के दिन गया था। वहां पर भक्तों की इतनी भीड़ थी कि मंदिर तक पहुंचना भी मुश्किल हो रहा था। लेकिन, जब मैंने हनुमान जी की प्रतिमा के दर्शन किए, तो मुझे एक अद्भुत शांति का अनुभव हुआ। उस दिन मैंने भंडारे में भोजन भी किया और गरीबों को दान भी दिया। वह दिन मेरे लिए बहुत ही यादगार था। बुढ़वा मंगल का पर्व मुझे हमेशा शक्ति, भक्ति और सेवाभाव की प्रेरणा देता है।
आज के आधुनिक युग में भी बुढ़वा मंगल का महत्व कम नहीं हुआ है। लोग आज भी इस पर्व को उसी श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाते हैं। हालांकि, अब कुछ बदलाव जरूर आए हैं। लोग अब ऑनलाइन भी हनुमान चालीसा और बजरंग बाण का पाठ करते हैं। कई मंदिरों ने ऑनलाइन दर्शन की सुविधा भी शुरू कर दी है।
सोशल मीडिया के माध्यम से भी बुढ़वा मंगल के बारे में जानकारी साझा की जाती है। लोग अपने दोस्तों और परिवार वालों को इस पर्व की शुभकामनाएं देते हैं। बुढ़वा मंगल के दिन कई लोग सोशल मीडिया पर हनुमान जी के फोटो और वीडियो भी शेयर करते हैं।
बुढ़वा मंगल एक महत्वपूर्ण त्योहार है जो हमें शक्ति, भक्ति और सेवाभाव का संदेश देता है। यह पर्व हनुमान जी को समर्पित है और ज्येष्ठ मास के प्रत्येक मंगलवार को मनाया जाता है। इस दिन हनुमान जी की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है और भक्त उन्हें प्रसन्न करने के लिए विभिन्न प्रकार के अनुष्ठान करते हैं। यह पर्व उत्तर भारत, विशेषकर उत्तर प्रदेश में बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है।
बुढ़वा मंगल हमें यह भी सिखाता है कि हमें हमेशा दूसरों की मदद करनी चाहिए और जरूरतमंदों की सेवा करनी चाहिए। हनुमान जी ने हमेशा भगवान राम की सेवा की और दूसरों की मदद की। हमें भी उनसे प्रेरणा लेनी चाहिए और अपने जीवन में सेवाभाव को अपनाना चाहिए। अंत में, यही कहूंगा कि बुढ़वा मंगल का पर्व हमें एक बेहतर इंसान बनने की प्रेरणा देता है।
बुढ़वा मंगल हनुमान जी को समर्पित एक त्योहार है जो ज्येष्ठ मास के प्रत्येक मंगलवार को मनाया जाता है। इसे बड़ा मंगल के नाम से भी जाना जाता है।
ऐसा माना जाता है कि इस दिन हनुमान जी ने भगवान राम के लिए कई महत्वपूर्ण कार्य किए थे। कुछ कथाओं के अनुसार, हनुमान जी ने इसी दिन लंका दहन किया था और सीता माता का पता लगाया था।
बुढ़वा मंगल के दिन हनुमान मंदिरों में विशेष आयोजन किए जाते हैं। भक्त हनुमान जी की प्रतिमा को सिंदूर और चमेली के तेल से सजाते हैं, उन्हें फूल, फल, मिठाई और अन्य प्रकार के प्रसाद अर्पित करते हैं। हनुमान चालीसा और बजरंग बाण का पाठ करना शुभ माना जाता है। भंडारे का आयोजन करना भी एक महत्वपूर्ण परंपरा है।
बुढ़वा मंगल उत्तर भारत, विशेषकर उत्तर प्रदेश में मनाया जाता है।
बुढ़वा मंगल शक्ति, भक्ति और सेवाभाव का संदेश देता है। यह पर्व हमें दूसरों की सेवा करने और जरूरतमंदों की मदद करने की प्रेरणा देता है।
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