दर्पण: ऑनलाइन गेमिंग में आपका भाग्यशाली साथी
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read moreआष्टमी, भारतीय संस्कृति और हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण तिथि है। यह तिथि हर महीने में दो बार आती है, कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष में। दोनों ही आष्टमी का अपना विशेष महत्व है। अष्टमी तिथि देवी दुर्गा और भगवान कृष्ण दोनों को समर्पित है। इस दिन, भक्त उपवास रखते हैं, पूजा करते हैं, और धार्मिक अनुष्ठान करते हैं। आइए, इस तिथि के बारे में विस्तार से जानते हैं।
आष्टमी का अर्थ है 'आठवां'। यह तिथि चंद्रमा की कला के अनुसार निर्धारित होती है। कृष्ण पक्ष की अष्टमी को कालाष्टमी कहा जाता है, जो भगवान भैरव को समर्पित है, जो भगवान शिव के उग्र रूप हैं। शुक्ल पक्ष की अष्टमी को दुर्गाष्टमी कहा जाता है, जो देवी दुर्गा को समर्पित है।
आष्टमी का महत्व न केवल धार्मिक है, बल्कि यह आध्यात्मिक रूप से भी महत्वपूर्ण है। यह दिन हमें अपने भीतर की बुराइयों को दूर करने और सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ाने का अवसर प्रदान करता है।
कालाष्टमी, कृष्ण पक्ष की अष्टमी को मनाई जाती है। इस दिन भगवान भैरव की पूजा की जाती है। भगवान भैरव को काशी का कोतवाल भी कहा जाता है। वे भगवान शिव के ही एक रूप हैं, जो अन्याय और बुराई का नाश करते हैं।
इस दिन, भक्त भगवान भैरव की मूर्ति या चित्र की पूजा करते हैं, उन्हें फूल, फल, और मिठाई अर्पित करते हैं। कुछ भक्त इस दिन उपवास भी रखते हैं और भगवान भैरव के मंत्रों का जाप करते हैं। कालाष्टमी का व्रत रखने से भय, रोग, और नकारात्मक ऊर्जा से मुक्ति मिलती है।
मैंने एक बार अपने दादाजी को कालाष्टमी के दिन भगवान भैरव की पूजा करते देखा था। वे बहुत भक्ति भाव से पूजा कर रहे थे और मुझे बताया कि इस दिन भगवान भैरव की पूजा करने से सभी कष्ट दूर हो जाते हैं। उस दिन से, मैं भी हर कालाष्टमी पर भगवान भैरव की पूजा करने लगा।
दुर्गाष्टमी, शुक्ल पक्ष की अष्टमी को मनाई जाती है। यह दिन देवी दुर्गा को समर्पित है। देवी दुर्गा शक्ति का प्रतीक हैं और उन्होंने महिषासुर जैसे राक्षसों का वध करके पृथ्वी को बचाया था।
दुर्गाष्टमी के दिन, भक्त देवी दुर्गा की मूर्ति या चित्र की पूजा करते हैं, उन्हें लाल फूल, फल, और मिठाई अर्पित करते हैं। कुछ भक्त इस दिन उपवास भी रखते हैं और दुर्गा चालीसा या दुर्गा सप्तशती का पाठ करते हैं। दुर्गाष्टमी का व्रत रखने से शक्ति, साहस, और सफलता मिलती है।
मुझे याद है, जब मैं छोटी थी, मेरी माँ हर दुर्गाष्टमी पर देवी दुर्गा की पूजा करती थीं। वे बहुत श्रृद्धा से पूजा करती थीं और मुझे भी पूजा में शामिल होने के लिए कहती थीं। मैंने उनसे देवी दुर्गा के बारे में बहुत सी कहानियाँ सुनीं और मुझे हमेशा उनकी शक्ति और साहस से प्रेरणा मिली।
आष्टमी पर पूजा विधि सरल और भक्तिपूर्ण होनी चाहिए। यहां कुछ सुझाव दिए गए हैं:
आष्टमी के दौरान कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए:
आष्टमी का महत्व इसलिए भी है क्योंकि यह हमें अपने भीतर की बुराइयों को दूर करने और सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ाने का अवसर प्रदान करता है। यह दिन हमें याद दिलाता है कि हमें हमेशा सच्चाई, न्याय, और धर्म के मार्ग पर चलना चाहिए। आष्टमी पर भगवान का स्मरण करने से मानसिक शांति मिलती है और जीवन में सकारात्मक बदलाव आते हैं।
आष्टमी तिथि हर महीने में दो बार आती है। तिथि का निर्धारण चंद्रमा की गति पर निर्भर करता है। आप किसी भी पंचांग या ऑनलाइन कैलेंडर से आष्टमी तिथि की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। आष्टमी के दिन, विशेष रूप से मंदिरों में विशेष पूजा और अनुष्ठान आयोजित किए जाते हैं।
आष्टमी से जुड़ी कई कहानियाँ और किंवदंतियाँ प्रचलित हैं। एक प्रसिद्ध कहानी के अनुसार, देवी दुर्गा ने दुर्गाष्टमी के दिन ही महिषासुर का वध किया था। इसलिए, यह दिन देवी दुर्गा की शक्ति और साहस का प्रतीक है।
एक अन्य कहानी के अनुसार, भगवान कृष्ण का जन्म भी अष्टमी तिथि को हुआ था। इसलिए, यह दिन भगवान कृष्ण के भक्तों के लिए भी बहुत महत्वपूर्ण है।
आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी में, आष्टमी का महत्व और भी बढ़ गया है। यह दिन हमें थोड़ा समय निकालकर अपने भीतर झांकने और अपने जीवन के बारे में सोचने का अवसर प्रदान करता है। यह दिन हमें याद दिलाता है कि हमें अपने मूल्यों और सिद्धांतों पर टिके रहना चाहिए, चाहे परिस्थितियां कैसी भी हों।
मैं मानती हूँ कि आष्टमी एक ऐसा दिन है जो हमें शांति, खुशी, और प्रेरणा देता है। यह दिन हमें अपने जीवन को बेहतर बनाने और दूसरों की मदद करने के लिए प्रेरित करता है। आष्टमी के दिन दान-पुण्य करने से विशेष फल मिलता है।
आष्टमी एक महत्वपूर्ण तिथि है जो हमें धर्म, आध्यात्मिकता, और नैतिकता का पाठ पढ़ाती है। यह दिन हमें अपने जीवन को बेहतर बनाने और दूसरों की मदद करने के लिए प्रेरित करता है। हमें इस दिन का सम्मान करना चाहिए और इसे भक्ति और श्रद्धा के साथ मनाना चाहिए। इस दिन, भगवान का स्मरण करते हुए आष्टमी का महत्व समझें।
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