खेल महाकुंभ 2025: तैयारी, उत्साह और उम्मीदें
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read moreअमिताभ बच्चन, एक ऐसा नाम जो भारतीय सिनेमा का पर्याय बन चुका है। उनकी आवाज, उनकी अदाकारी और उनका व्यक्तित्व, तीनों ही दर्शकों के दिलों में बसे हुए हैं। सिर्फ भारत में ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया में उनके चाहने वाले मौजूद हैं। एक लंबा सफर तय करके, उन्होंने फिल्म इंडस्ट्री में अपनी एक अलग पहचान बनाई है। यह कहानी है उस शख्स की, जिसने अपनी मेहनत और लगन से सफलता की ऊंचाइयों को छुआ।
11 अक्टूबर 1942 को इलाहाबाद में जन्मे अमिताभ बच्चन, कवि हरिवंश राय बच्चन और तेजी बच्चन के पुत्र हैं। शुरुआती शिक्षा इलाहाबाद और नैनीताल में हुई। उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय के किरोड़ीमल कॉलेज से विज्ञान स्नातक की डिग्री प्राप्त की। अभिनय में रुचि होने के कारण, उन्होंने फिल्मों में करियर बनाने का फैसला किया।
हालांकि, शुरुआती दौर आसान नहीं था। उनकी भारी आवाज और लंबे कद को कई लोगों ने नकारात्मक रूप से देखा। कई फिल्म निर्माताओं ने उन्हें रिजेक्ट कर दिया। लेकिन अमिताभ ने हार नहीं मानी। उन्होंने अपनी कमियों को अपनी ताकत बनाया और लगातार प्रयास करते रहे। यह उस दौर की बात है जब अमिताभ बच्चन जैसे सितारों को भी संघर्ष करना पड़ा था।
1969 में, अमिताभ बच्चन ने फिल्म 'सात हिंदुस्तानी' से अपने करियर की शुरुआत की। हालांकि यह फिल्म सफल नहीं रही, लेकिन अमिताभ की प्रतिभा को पहचाना गया। इसके बाद उन्होंने कई फिल्मों में काम किया, लेकिन उन्हें बड़ी सफलता नहीं मिली।
1973 में आई फिल्म 'जंजीर' अमिताभ बच्चन के करियर का टर्निंग पॉइंट साबित हुई। इस फिल्म में उन्होंने एक एंग्री यंग मैन की भूमिका निभाई, जिसे दर्शकों ने खूब पसंद किया। 'जंजीर' बॉक्स ऑफिस पर सुपरहिट रही और अमिताभ बच्चन रातोंरात स्टार बन गए। यह फिल्म, भारतीय सिनेमा में एक नए युग की शुरुआत थी।
'जंजीर' के बाद, अमिताभ बच्चन ने लगातार कई सफल फिल्में दीं। 'दीवार', 'शोले', 'त्रिशूल', 'डॉन', 'मुकद्दर का सिकंदर' जैसी फिल्मों ने उन्हें 'एंग्री यंग मैन' की छवि दी। उन्होंने पर्दे पर अन्याय और भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाई, जिससे दर्शक खुद को जुड़ा हुआ महसूस करते थे। उनकी फिल्मों में एक्शन, ड्रामा और इमोशन का मिश्रण होता था, जो दर्शकों को बांधे रखता था।
अमिताभ बच्चन की सफलता का दौर 1970 के दशक से लेकर 1980 के दशक तक जारी रहा। इस दौरान उन्होंने कई पुरस्कार और सम्मान जीते। उन्हें सर्वश्रेष्ठ अभिनेता के लिए कई फिल्मफेयर पुरस्कार मिले। भारत सरकार ने उन्हें पद्म श्री और पद्म भूषण से सम्मानित किया। इस दौर में अमिताभ बच्चन सिर्फ एक अभिनेता नहीं, बल्कि एक आइकन बन चुके थे।
1984 में, अमिताभ बच्चन ने राजनीति में प्रवेश किया। उन्होंने राजीव गांधी के कहने पर इलाहाबाद से लोकसभा का चुनाव लड़ा और भारी मतों से जीत हासिल की। हालांकि, उनका राजनीतिक करियर लंबा नहीं चला। उन्होंने कुछ समय बाद राजनीति छोड़ दी और फिल्मों में वापस आ गए।
1990 के दशक में, अमिताभ बच्चन का करियर थोड़ा धीमा पड़ गया था। उनकी कुछ फिल्में सफल नहीं रहीं। लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। उन्होंने टेलीविजन पर 'कौन बनेगा करोड़पति' शो की मेजबानी की, जो बहुत लोकप्रिय हुआ। इस शो ने उन्हें एक नई पहचान दी और उन्हें फिर से दर्शकों के दिलों में जगह बनाने में मदद की। यह एक ऐसा शो था जिसने अमिताभ बच्चन को घर-घर में लोकप्रिय बना दिया।
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