Roberto Bautista Agut: टेनिस कोर्ट का बादशाह!
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read moreमदर टेरेसा, जिनका नाम सुनते ही मन में शांति, करुणा और सेवा का भाव उमड़ आता है, 20वीं सदी की एक ऐसी शख्सियत थीं जिन्होंने अपना पूरा जीवन दीन-दुखियों की सेवा में समर्पित कर दिया। उनका जीवन एक प्रेरणा है, एक उदाहरण है कि कैसे निस्वार्थ भाव से दूसरों की मदद करके दुनिया को बेहतर बनाया जा सकता है। मदर टेरेसा का नाम मानवता की सेवा का पर्याय बन गया है। मदर टेरेसा
मदर टेरेसा का जन्म 26 अगस्त, 1910 को स्कोप्जे (अब उत्तरी मैसेडोनिया) में हुआ था। उनका मूल नाम एग्नेस गोंक्शा बोजाक्सिउ था। एक धार्मिक परिवार में पली-बढ़ीं एग्नेस को बचपन से ही गरीबों और जरूरतमंदों के प्रति सहानुभूति थी। 12 साल की उम्र में, उन्होंने धार्मिक जीवन जीने का फैसला किया और 18 साल की उम्र में सिस्टर्स ऑफ लोरेटो में शामिल हो गईं।
लोरेटो सिस्टर्स में शामिल होने के बाद, एग्नेस को सिस्टर टेरेसा नाम दिया गया (सेंट टेरेसा ऑफ लिसीक्स के सम्मान में)। उन्होंने दार्जिलिंग, भारत में प्रशिक्षण लिया और बाद में कलकत्ता (अब कोलकाता) में सेंट मैरी स्कूल में शिक्षिका के रूप में कार्य किया।
कलकत्ता में रहते हुए, सिस्टर टेरेसा ने शहर में व्याप्त गरीबी और दुख को करीब से देखा। सड़कों पर बेसहारा, बीमार और मरते हुए लोगों को देखकर उनका हृदय द्रवित हो गया। 1946 में, उन्होंने "आत्मा के भीतर से एक पुकार" सुनी, जिसमें उन्हें गरीबों में सबसे गरीब लोगों की सेवा करने का आदेश दिया गया था।
इस आह्वान के बाद, सिस्टर टेरेसा ने लोरेटो कॉन्वेंट छोड़ दिया और गरीबों की सेवा करने के लिए एक नया मिशन शुरू करने का फैसला किया। उन्होंने मेडिकल का प्रशिक्षण लिया और फिर कलकत्ता की सड़कों पर निकल पड़ीं, बीमारों की देखभाल करने, बेघरों को आश्रय देने और भूखों को भोजन कराने के लिए।
1950 में, मदर टेरेसा ने मिशनरीज ऑफ चैरिटी की स्थापना की, एक धार्मिक संगठन जो गरीबों, बीमारों, अनाथों और मरते हुए लोगों की सेवा के लिए समर्पित था। मिशनरीज ऑफ चैरिटी ने दुनिया भर में अपने केंद्र खोले, जहाँ वे गरीबों और जरूरतमंदों को आश्रय, भोजन, चिकित्सा देखभाल और प्रेम प्रदान करते थे।
मदर टेरेसा और मिशनरीज ऑफ चैरिटी ने कुष्ठ रोगियों, एड्स रोगियों और अन्य बीमारियों से पीड़ित लोगों की भी देखभाल की, जिन्हें अक्सर समाज द्वारा त्याग दिया जाता था। उन्होंने अनाथालय, स्कूल और अन्य संस्थान भी स्थापित किए, ताकि बच्चों को शिक्षा और बेहतर जीवन का अवसर मिल सके। मदर टेरेसा का मानना था कि हर इंसान में ईश्वर का वास होता है, और इसलिए हर व्यक्ति को प्रेम और सम्मान के साथ व्यवहार किया जाना चाहिए।
1979 में, मदर टेरेसा को उनके मानवीय कार्यों के लिए नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया। पुरस्कार स्वीकार करते हुए, उन्होंने कहा, "मैं इस पुरस्कार को गरीबों, बीमारों और दुनिया के सभी दुखी लोगों की ओर से स्वीकार करती हूँ।"
नोबेल शांति पुरस्कार ने मदर टेरेसा को दुनिया भर में और अधिक पहचान दिलाई और उनके कार्यों को और अधिक समर्थन मिला। उन्होंने अपनी प्रसिद्धि का उपयोग गरीबों और जरूरतमंदों के लिए आवाज उठाने और दुनिया को अधिक दयालु और न्यायपूर्ण बनाने के लिए किया।
मदर टेरेसा के कार्यों को हमेशा सराहना नहीं मिली। कुछ लोगों ने उनकी दान-धर्म की शैली, उनकी चिकित्सा देखभाल की गुणवत्ता और उनके राजनीतिक विचारों की आलोचना की। कुछ आलोचकों ने यह भी आरोप लगाया कि उन्होंने गरीबों की पीड़ा को कम करने के बजाय उसे बनाए रखा।
हालांकि, मदर टेरेसा ने हमेशा अपने आलोचकों का सम्मान किया और उनके विचारों को गंभीरता से लिया। उन्होंने अपने कार्यों को हमेशा गरीबों और जरूरतमंदों की मदद करने के उद्देश्य से प्रेरित बताया।
मदर टेरेसा का निधन 5 सितंबर, 1997 को कलकत्ता में हुआ। उनकी मृत्यु के बाद, उन्हें संत घोषित किया गया और मदर टेरेसा ऑफ कलकत्ता के नाम से जाना जाने लगा। मदर टेरेसा की विरासत आज भी जीवित है, और उनके द्वारा स्थापित मिशनरीज ऑफ चैरिटी दुनिया भर में गरीबों और जरूरतमंदों की सेवा कर रही है। मदर टेरेसा का जीवन प्रेम, सेवा और करुणा का एक अमर संदेश है, जो हमें यह याद दिलाता है कि हम सभी में दुनिया को बेहतर बनाने की क्षमता है। मदर टेरेसा
मदर टेरेसा का जीवन हमें कई महत्वपूर्ण सीख देता है:
आज के समय में, जब दुनिया में गरीबी, असमानता और हिंसा बढ़ रही है, मदर टेरेसा का संदेश और भी अधिक प्रासंगिक हो गया है। उनका जीवन हमें यह याद दिलाता है कि हम सभी में दुनिया को बेहतर बनाने की क्षमता है, और हमें दूसरों की मदद करने के लिए हमेशा तैयार रहना चाहिए।
मदर टेरेसा का जीवन हमें यह भी सिखाता है कि सच्ची खुशी दूसरों की सेवा करने में है। जब हम दूसरों की मदद करते हैं, तो हम न केवल उनके जीवन को बेहतर बनाते हैं, बल्कि अपने जीवन को भी अधिक सार्थक बनाते हैं।
मदर टेरेसा एक महान इंसान थीं, और उनका जीवन हमेशा हमें प्रेरित करता रहेगा। हमें उनके जीवन से सीख लेनी चाहिए और दुनिया को अधिक दयालु और न्यायपूर्ण बनाने के लिए प्रयास करना चाहिए।
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