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छठ पूजा कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाई जाती है। ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार, यह आमतौर पर अक्टूबर या नवंबर में पड़ता है। chhath puja date 2025 31 अक्टूबर से शुरू होकर 3 नवंबर तक मनाई जाएगी। नीचे दिए गए तालिका में छठ पूजा 2025 की तिथियां दी गई हैं:
| दिन | तिथि | अनुष्ठान |
|---|---|---|
| पहला दिन | 31 अक्टूबर, 2025 (शुक्रवार) | नहाय खाय |
| दूसरा दिन | 1 नवंबर, 2025 (शनिवार) | खरना |
| तीसरा दिन | 2 नवंबर, 2025 (रविवार) | संध्या अर्घ्य |
| चौथा दिन | 3 नवंबर, 2025 (सोमवार) | उषा अर्घ्य (सुबह का अर्घ्य) |
छठ पूजा सिर्फ एक त्योहार नहीं है, बल्कि यह प्रकृति के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने का एक तरीका है। सूर्य देव को ऊर्जा और जीवन का स्रोत माना जाता है, और छठी मैया को उनकी बहन। इस पर्व में, श्रद्धालु सूर्य देव और छठी मैया की पूजा करते हैं और उनसे अपने परिवार के लिए सुख, शांति और समृद्धि की कामना करते हैं।
छठ पूजा का एक और महत्वपूर्ण पहलू इसकी सादगी और पवित्रता है। इस त्योहार में किसी भी प्रकार की दिखावट या आडंबर नहीं होता है। श्रद्धालु शुद्ध मन और श्रद्धा के साथ पूजा करते हैं और सात्विक भोजन ग्रहण करते हैं।
छठ पूजा चार दिनों तक चलने वाला एक कठिन अनुष्ठान है। हर दिन का अपना महत्व और विधि है।
यह छठ पूजा का पहला दिन होता है। इस दिन, श्रद्धालु स्नान करके शुद्ध होते हैं और सात्विक भोजन ग्रहण करते हैं। भोजन में कद्दू की सब्जी, चने की दाल और चावल शामिल होते हैं। इस दिन प्याज और लहसुन का प्रयोग नहीं किया जाता है।
यह छठ पूजा का दूसरा दिन होता है। इस दिन, श्रद्धालु दिन भर उपवास रखते हैं और शाम को खीर और रोटी का प्रसाद बनाते हैं। यह प्रसाद छठी मैया को अर्पित किया जाता है और फिर परिवार के सदस्य इसे ग्रहण करते हैं।
यह छठ पूजा का सबसे महत्वपूर्ण दिन होता है। इस दिन, श्रद्धालु नदी या तालाब के किनारे इकट्ठा होते हैं और डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य देते हैं। अर्घ्य में फल, फूल, मिठाई और अन्य सामग्री शामिल होती है। महिलाएं पारंपरिक छठ गीत गाती हैं और छठी मैया की कहानियां सुनाती हैं।
यह छठ पूजा का अंतिम दिन होता है। इस दिन, श्रद्धालु उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देते हैं और छठी मैया से आशीर्वाद मांगते हैं। अर्घ्य देने
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