Crafting a Memorable Teachers Day Speech
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read moreअष्टमी तिथि हिन्दू धर्म में बहुत महत्वपूर्ण मानी जाती है। यह हर महीने में दो बार आती है - कृष्ण पक्ष में और शुक्ल पक्ष में। दोनों ही अष्टमी तिथियों का अपना विशेष महत्व है। लेकिन, जब हम बात करते हैं विशिष्ट त्योहारों की, जैसे कि दुर्गाष्टमी या जन्माष्टमी, तो इनका महत्व और भी बढ़ जाता है। तो, आइए जानते हैं कि आखिर अष्टमी कब है और इसका क्या महत्व है।
अष्टमी तिथि देवी दुर्गा और भगवान कृष्ण दोनों को समर्पित है। दुर्गाष्टमी में देवी दुर्गा की पूजा की जाती है, जबकि जन्माष्टमी में भगवान कृष्ण के जन्म का उत्सव मनाया जाता है। यह तिथि बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है और भक्तों को शक्ति और साहस प्रदान करती है।
मेरे दादाजी, जो एक पुजारी थे, हमेशा कहते थे कि अष्टमी तिथि एक ऐसा समय है जब ब्रह्मांडीय ऊर्जा अपने चरम पर होती है। इस दिन, ध्यान और प्रार्थना करने से विशेष लाभ मिलता है। उन्होंने मुझे बताया था कि इस दिन गरीबों को दान करना और जरूरतमंदों की मदद करना भी बहुत पुण्य का काम है।
हर महीने में दो अष्टमी तिथियां होती हैं, लेकिन कुछ विशिष्ट महीनों की अष्टमी तिथियां विशेष रूप से महत्वपूर्ण होती हैं। उदाहरण के लिए:
यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि अष्टमी तिथि का निर्धारण पंचांग के अनुसार किया जाता है, जो कि चंद्र कैलेंडर पर आधारित होता है। इसलिए, विभिन्न वर्षों में अष्टमी की तारीखें भिन्न हो सकती हैं।
अष्टमी की पूजा विधि अलग-अलग देवी-देवताओं के लिए अलग-अलग होती है। दुर्गाष्टमी में, देवी दुर्गा की प्रतिमा या चित्र की पूजा की जाती है। उन्हें लाल फूल, सिंदूर और मिठाई अर्पित की जाती है। भक्त दुर्गा चालीसा या दुर्गा सप्तशती का पाठ करते हैं।
जन्माष्टमी में, भगवान कृष्ण की बाल रूप की प्रतिमा की पूजा की जाती है। उन्हें माखन, मिश्री और पंजीरी का भोग लगाया जाता है। भक्त कृष्ण भजन गाते हैं और कृष्ण लीला का प्रदर्शन करते हैं।
कोई भी पूजा विधि अपनाएं, महत्वपूर्ण यह है कि आप सच्चे मन से और भक्ति भाव से पूजा करें। यह एक ऐसा समय है जब आप अपने भीतर की नकारात्मकता को दूर कर सकते हैं और सकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित कर सकते हैं।
यह जानना महत्वपूर्ण है कि विशिष्ट वर्ष में अष्टमी तिथियाँ कब पड़ेंगी। इसके लिए, आपको पंचांग देखने की आवश्यकता होगी। आप ऑनलाइन पंचांग भी देख सकते हैं या किसी पंडित से सलाह ले सकते हैं। इससे आपको अपनी पूजा और व्रत की योजना बनाने में मदद मिलेगी।
मुझे याद है, एक बार मेरे पिताजी ने अष्टमी तिथि के बारे में गलत जानकारी दे दी थी और हमने गलत दिन व्रत रख लिया था। तब हमें एहसास हुआ कि सही जानकारी होना कितना महत्वपूर्ण है! इसलिए, हमेशा प्रामाणिक स्रोतों से जानकारी प्राप्त करें। अष्टमी कब है, यह जानने के लिए आप विश्वसनीय पंचांग देख सकते हैं।
अष्टमी के दिन कुछ विशेष बातों का ध्यान रखना चाहिए।
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